शादी रद्द कब और कैसे होती है - तलाक और विवाह समाप्त करने में अंतर
शादी रद्द कब और कैसे होती है - तलाक और विवाह समाप्त करने में अंतर
कई बार जब पति-पत्नी अपने रिश्ते को आगे नहीं बढ़ा पाते तो वे अपने विवाह के बंधन को खत्म करने की सोचते हैं। लेकिन शादी के रिश्ते को खत्म करने के भी दो तरीके होते हैं, एक ऐसा जिसमें शादी को बिलकुल गलत मान लिया जाता है और दूसरा जिसमें विवाह के बंधन को कानून के हिसाब से खत्म किया जाता है। इसलिए हम सभी का यह समझना बहुत जरूरी है कि ये दोनों तरीके कौन से है और इनमें से कौन सा तरीका सही होता है। आज के इस लेख में हम आपको शादी रद्द (Marriage Annulment) करने और तलाक (Divorce) के विषय के बारे में जानकारी देंगे कि, शादी रद्द करना और तलाक क्या होता हैं? विवाह को समाप्त कब और कैसे किया जा सकता है?
शादी रद्द (Marriage Annulment) करना क्या होता है?
शादी रद्द करने का मतलब है कि शादी (Marriage) को ऐसा माना जाए जैसे वो कभी हुई ही नहीं। यानि शादी को पूरी तरह से खत्म कर देना। सरल भाषा में कहे तो, कोर्ट जब यह तय करता है कि आपकी शादी कानूनी रूप से सही नहीं है, तो कोर्ट उस शादी को खत्म यानी रद्द कर देता है। इसे शादी का "रद्द करना", "शादी को खारिज करना" और "विवाह निरस्तीकरण" भी कहा जाता है।
कब और किन हालात में विवाह निरस्तीकरण की जा सकती है?
विवाह रद्द करने के कुछ खास कारण होते हैं, जिनमें शामिल हैं:
धोखा (Fraud): अगर किसी विवाह में पति या पत्नी में से किसी ने धोखा दिया हो या कोई सच छुपाया हो, तो विवाह रद्द किया जा सकता है, जैसे कि शादी से पहले किसी ने अपनी असलियत छुपाई हो।
दबाव या जबरदस्ती: अगर विवाह किसी दबाव, डर या ज़बरदस्ती में हुई हो, जैसे कि विवाह के लिए मजबूर किया गया हो।
नाबालिग होना: अगर कोई व्यक्ति विवाह के समय कानूनी उम्र (जो लड़कों के लिए 21 साल और लड़कियों के लिए 18 साल होती है) से छोटा था तो भी शादी को खारिज किया जा सकता है।
Bigamy या दोहरी शादी (Bigamy): अगर किसी व्यक्ति ने पहले से विवाह कर रखा हो और फिर बिना पहली शादी खत्म किए दूसरा विवाह कर लिया हो, तो दूसरा विवाहा रद्द माना जाता है।
मानसिक स्थिति ठीक ना होना: अगर विवाह के समय किसी पक्ष की मानसिक स्थिति ठीक न हो।
करीबी संबंध: अगर दोनों पक्ष किसी ऐसे रिश्ते में हों जहाँ विवाह करना कानूनन मना हो, जैसे कि बहुत करीबी खून के रिश्तेदार।
शादी रद्द (Marriage Annulment) करने का कानूनी प्रावधान क्या है?
हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 12 (Section 12) में विवाह को रद्द करने के कारणों के बारे में बताया गया है। इस धारा के अनुसार अगर ऊपर बताए गए कारणों में से कोई भी कारण पाया जाता है, तो कोई भी पक्ष अदालत में याचिका देकर विवाह रद्द करवा सकता है।
किन लोगों पर यह कानून लागू होता है?
यह कानून हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध धर्म के लोगों पर लागू होता है। अगर कोई व्यक्ति किसी और धर्म का है, तो उसके लिए अलग कानून होते हैं।
अन्य धर्मों में शादी रद्द करने के कानून
मुस्लिम धर्म – मुस्लिम पर्सनल लॉ और शरीयत के अनुसार
ईसाई धर्म – ईसाई विवाह अधिनियम, 1872
पारसी धर्म – पारसी विवाह और तलाक अधिनियम
अंतर-धार्मिक विवाह – विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के तहत
तलाक (Divorce) क्या है?
तलाक का मतलब है, पति और पत्नी का कानूनी रूप से अपने विवाह (Marriage) के बंधन को खत्म करना। जब दोनों एक साथ नहीं रहना चाहते तो कोर्ट के ज़रिए मैरिज तोड़ दी जाती है। इसके बाद दोनों एक दूसरे से पूरी तरह अलग हो जाते हैं।
तलाक किन कारणों से लिया जा सकता है?
अत्याचार या मारपीट: अगर पति या पत्नी एक-दूसरे के साथ शारीरिक या मानसिक रूप से गलत व्यवहार करते हैं, तो तलाक लिया जा सकता है।
किसी और से नाजायज़ रिश्ता (व्यभिचार): अगर पति या पत्नी में से किसी का तीसरे व्यक्ति से गलत संबंध है, तो यह तलाक का कारण बन सकता है।
साथी का घर छोड़ देना (त्याग देना): अगर पति या पत्नी में से कोई एक बिना वजह और बिना बताए लंबे समय तक अलग रहता है, तो दूसरा साथी तलाक की मांग कर सकता है।
मानसिक बीमारी: अगर शादी के बाद पता चले कि किसी की मानसिक स्थिति सही नहीं है और साथ रहना मुश्किल है, तो तलाक लिया जा सकता है।
शारीरिक संबंध न बना पाना: अगर विवाह के बाद पति-पत्नी के बीच शारीरिक संबंध (Physical Relationship) कभी बने ही नहीं, तो इसे भी तलाक का आधार माना जा सकता है।
धर्म बदल लेना: अगर कोई पति या पत्नी मैरिज के बाद अपना धर्म (Religion) बदल ले, तो दूसरा साथी तलाक की अर्जी (Application) दे सकता है।
शादी रद्द करने (Annulment) और तलाक (Divorce) लेने में क्या अंतर होता है?
विवाह के पवित्र बंधन को खत्म करने के लिए दो कानूनी रास्ते होते हैं, शादी रद्द (Annulment) और तलाक (Divorce)। ये दोनों अलग-अलग कानूनी प्रक्रियाएं हैं, जिनके उद्देश्य और असर भी अलग होते हैं। नीचे इन दोनों के बीच के अंतर को आसान भाषा में बताया गया है।
1. मतलब क्या होता है?
शादी रद्द (Annulment): इसमें कोर्ट मानता है कि शादी शुरू से ही गलत थी, इसलिए यह मैरिज कभी हुई ही नहीं मानी जाएगी।
तलाक (Divorce): इसमें कोर्ट मानता है कि मैरिज सही थी, लेकिन अब दोनों साथ नहीं रह सकते, इसलिए शादी को खत्म किया जा रहा है।
2. कब किया जा सकता है?
अगर मैरिज में शुरू से कोई बड़ी गलती हो जैसे किसी ने झूठ बोला हो, दबाव में शादी की हो, नाबालिग हो, या पहले से शादीशुदा हो तो शादी रद्द हो सकती है।
अगर शादी के बाद रिश्ते बिगड़ गए हों, जैसे रोज़ झगड़ा हो, मारपीट हो, धोखा मिले, या दोनों साथ नहीं रहना चाहते तो तलाक (Divorce) लिया जा सकता है।
3. बच्चों का क्या होगा?
अगर शादी खारिज होती है, तो भी उस मैरिज से पैदा हुए बच्चे कानूनी (Legal) माने जाते हैं। वही तलाक का भी बच्चों पर कोई असर नहीं होता।
4. गुज़ारा भत्ता और संपत्ति अधिकार
रद्द की गई शादी में पत्नी को गुज़ारा भत्ता या संपत्ति का अधिकार मिलने की संभावना कम होती है, पर कुछ मामलों में कोर्ट निर्णय दे सकता है।
तलाक में पत्नी/पति को गुज़ारा भत्ता (maintenance), बच्चों की कस्टडी और संपत्ति में हिस्सा मिल सकता है, जैसा कोर्ट तय करे।
5. किस कानून में प्रावधान है?
हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 12 के अंतर्गत विवाह रद्द करने की प्रक्रिया दी गई है।
हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13 में तलाक के कारण और प्रक्रिया दी गई है।
विवाह रद्द (Annulment) होने के बाद क्या होता है?
1. शादी अमान्य (Invalid) मानी जाती है
विवाह रद्द होने के बाद कोर्ट मानता है कि ये शादी शुरू से ही गलत थी।
2. बच्चों का क्या होगा?
अगर इस शादी से बच्चे हुए हैं, तो वे पूरी तरह से कानूनी (Legal) माने जाते हैं। उन्हें माता-पिता की पहचान, देखभाल और संपत्ति में अधिकार मिलते हैं।
3. पैसे और संपत्ति से जुड़ी बात
विवाह रद्द होने पर आमतौर पर पति-पत्नी को एक-दूसरे की संपत्ति में कोई अधिकार नहीं होता। लेकिन अगर कोई पक्ष आर्थिक रूप से कमजोर है, तो कोर्ट गुज़ारा भत्ता (maintenance) दे सकता है।
4. दोबारा शादी करना
शादी रद्द होने के बाद दोनों पक्ष फिर से शादी कर सकते हैं। इसके लिए किसी खास मंजूरी की जरूरत नहीं होती, क्योंकि अब वे कानूनी रूप से अविवाहित (Unmarried) माने जाते हैं।
तलाक (Divorce) लेने के बाद क्या होता है?
जब पति-पत्नी का साथ जीवन भर नहीं बन पाता और वे अलग होने का फैसला करते हैं, तो तलाक की प्रक्रिया पूरी की जाती है। तलाक के बाद कई कानूनी और सामाजिक बदलाव होते हैं, जिनका समझना बहुत जरूरी होता है। नीचे तलाक के बाद होने वाली कुछ मुख्य बातें सरल शब्दों में बताई गई हैं:
1. बच्चों की देखभाल और खर्च
तलाक के बाद यह तय किया जाता है कि बच्चे किसके साथ रहेंगे। कोर्ट बच्चे के भले के लिए सही फैसला करता है।
2. संपत्ति का बंटवारा
जो भी चीजें पति-पत्नी ने साथ में खरीदी हैं, तलाक के बाद उनका बंटवारा किया जाता है। कोर्ट देखता है कि कैसे सही तरीके से सारी चीजें बांटी जानी चाहिए।
3. आर्थिक मदद (Maintenance)
अगर तलाक के बाद पत्नी आर्थिक रुप से कमजोर है, यानि उसके पास अपने जीवन को सही ढंग से जीने के लिए पैसे नहीं है, तो अदालत द्वारा उसे गुजारा भत्ता दिलवाने का भी फैसला भी लिया जाता है।
4. दोबारा शादी करना
तलाक के बाद दोनों अपनी मर्जी से किसी से भी शादी कर सकते हैं। इसके लिए किसी तरह की रोक नहीं होती।
शादी समाप्त कराने और तलाक लेने के लिए जरूरी दस्तावेज
जब कोई शादी रद्द करवाना चाहता है या तलाक लेना चाहता है, तो कोर्ट में कुछ जरूरी दस्तावेज जमा करना पड़ते हैं। ये दस्तावेज साबित करते हैं कि आपकी बात सही है और केस सही तरीके से आगे बढ़ सके। नीचे शादी रद्द और तलाक के लिए सबसे जरूरी कागजात आसान भाषा में दिए गए हैं:
सामान्य दस्तावेज (दोनों में जरूरी)
विवाह का प्रमाण पत्र
पहचान पत्र (जैसे आधार कार्ड, वोटर कार्ड)
आवेदन पत्र या याचिका (कोर्ट में केस के लिए)
बच्चों के जन्म प्रमाण पत्र (अगर बच्चे हों)
शादी रद्द के लिए खास दस्तावेज
विवाह रद्द करने के कारण के सबूत (जैसे नाबालिग होना, धोखा, दबाव)
गवाहों के बयान (अगर जरूरत हो)
जन्म प्रमाण पत्र (उम्र साबित करने के लिए) खासकर नाबालिग होने के मामले में
तलाक के लिए खास दस्तावेज
तलाक लेने के कारण बताने वाले दस्तावेज
संपत्ति और वित्त से जुड़े दस्तावेज (अगर संपत्ति का बंटवारा हो)
शादी रद्द करने की प्रक्रिया - Marriage Annulment Process in Hindi
शादी रद्द करने के लिए कुछ जरुरी बातों का ध्यान रखना पड़ता है, जिन्हें सही तरीके से पूरा करना जरूरी होता है। नीचे आसान भाषा में बताया गया है कि शादी रद्द कैसे होती है:
आवेदन करना: जो भी व्यक्ति विवाह खारिज करवाना चाहता है, वह कोर्ट में आवेदन (Application) देता है। इसमें वह बताता है कि शादी रद्द करने का कारण क्या है, जैसे नाबालिग होना, धोखा, जबरदस्ती आदि।
दस्तावेज जमा करना: कोर्ट में शादी के कागज, पहचान पत्र और शादी रद्द करवाने के कारण के सबूत (Evidence) जमा किए जाते हैं।
सुनवाई: कोर्ट दोनों पक्षों की बातें सुनता है और सबूत देखता है। अगर कोर्ट को लगता है कि शादी सही नहीं हुई, तो वह अगली सुनवाई करता है।
फैसला: कोर्ट शादी रद्द करने या न करने का फैसला सुनाता है। अगर कोर्ट शादी रद्द करता है, तो शादी को कानूनी तौर पर अमान्य (Invalid) माना जाता है।
आदेश जारी होना: कोर्ट शादी रद्द करने का आदेश (Order) जारी करता है। इसके बाद उस शादी को ऐसा माना जाता है जैसे कभी हुई ही नहीं।
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