भारतीय न्याय संहिता
कौन-कौन से हैं नए कानून
भारत के क्रिमिनल लॉ को शामिल किए जाने वाले तीन अहम दस्तावेजों- भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय रिवायतों का कम्युनिस्टों में साफ हो गया। अब इन त्रिस्तरीय बिलों की जांच के लिए संसदीय समिति के पास भेज दिया गया है। इसके बाद संज्ञाहरण और बाद में रोमानिया में प्रवेश द्वार।
यदि यह तीन वैज्ञानिक कानून की शक्तियां ले जाता है तो ये बिल भारतीय दंड संहिता (एपीसी), आपराधिक अभियोजक और भारतीय न्यायिक अधिनियम की संहिता की जगह ले लेगा।
नये कानून की धाराओं में बदलाव?
आईपीसी में धारा 511 लागू हैं. इसकी जगह भारतीय पौराणिक कथाओं में 356 धाराएं हैं। पुराने कानून से नये कानून में 175 धाराएं बदली गयीं। भारतीय ऐतिहासिक संहिता में 8 नई धाराएं, 22 धाराएं हटाई गई रचनाएं।
इसी तरह सीआरपीसी में 533 धाराएं रेह मोशन और 160 धाराएं बदली गति। नए कानून में 9 नई धाराएं जोड़ी गई हैं और 9 खत्म हो गई हैं।
आपराधिक नए क़ानूनों में 6 बड़े और महत्वपूर्ण बदलाव क्या हैं?
1. मॉब लिंचिंग और आपत्तिजनक अपराध के लिए सजा दी गई
वर्तमान में जो कानून है उसमें मॉब लिंचिंग और सांप्रदायिक अपराध के लिए कम से कम सात साल की सजा का प्रावधान शामिल है। इस नियम के अनुसार जब पांच या पांच लोगों के समूह में किसी व्यक्ति विशेष की जाति या समुदाय के आधार पर हत्या के मामले शामिल होते हैं। तो उस समूह के सभी सदस्यों को न्यूनतम सात वर्ष की श्रेणी में रखा जाएगा। लेकिन नए कानून में इस तरह के मामलों में लोगों को इंटरव्यू में शामिल किया गया है।
2. नरसंहार स्मारक का वर्णन किया गया है
पहली बार नरसंहार आंदोलन को भारतीय न्याय संहिता के तहत पेश किया गया था। नए वैक्सिन में इसके कानून में कुछ बदलाव किए गए हैं। नये वामपंथियों के तहत अब आर्थिक सुरक्षा को लेकर खतरनाक भी हमले की घटनाएं सामने आ रही हैं।
इसके अलावा डॉक्यूमेंट्री या नकली ग्राफिक्स का उत्पादन करके देश की वित्तीय स्थिरता को नुकसान पहुंचाना भी अत्याचार अधिनियम के तहत आता है। भारत में रक्षा या किसी सरकारी उद्देश्य के लिए गयी संपत्ति को विदेश में नष्ट करना भी नरसंहार गतिविधि का ही हिस्सा होगा।
देश में किसी भी व्यक्ति को कुछ भी करने के लिए मजबूर करने के लिए किसी भी व्यक्ति का अपमान करना या किसी भी व्यक्ति का अपहरण करना भी नरसंहार की घटना माना जाएगा।
3. छोटे अपराध की परिभाषा
वर्तमान में जो कानून में समन्वित समालोचना शामिल है, उसमें ग्राफिक्स की चोरी, फोन स्नैचिंग जैसे अपराधों को शामिल किया गया है, अगर इससे आम जनता में सुरक्षा की भावना पैदा होती तो। लेकिन नये कानून में सुरक्षा की भावना की यह अनिवार्यता समाप्त कर दी गयी है।
4. कोर्ट ने भी सजा का प्रोविजन प्रकाशित किया
नए प्रॉजेक्ट में एक नया प्रॉजेक्ट जोड़ा गया है, जिसमें किसी भी रेप के मामले की सुनवाई के दौरान उसे 2 साल तक की जेल हो सकती है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
5. मानसिक रोगी नहीं 'विक्षिप्त मस्तिष्क'
वर्तमान कानून में विचारधारा में मानसिक रूप से बीमार लोगों को सजा में छूट दी जाती है। लेकिन नए कानून या भारतीय न्याय संहिता में इस "मानसिक बीमारी" शब्द का नाम बदल दिया गया था। अब ऐसे अपराध को 'विक्षिप्त दिमाग' वाला अपराधी कहा गया है।
6. पेंसिल सेवा की परिभाषा
नई विधेयक में (भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता) में सामुदायिक सेवा को विस्तार में परिभाषित किया गया है. इसके अनुसार सामुदायिक सेवा एक ऐसी सजा को कहा जाएगा जो समुदाय के लिए फायदेमंद होगी और इसके लिए अपराधी को कोई पारिश्रमिक नहीं दिया जाएगा.
इन नए विधेयकों में छोटे-मोटे अपराध जैसे चोरी, नशे में धुत होकर परेशान करना, जैसे अपराधों के लिए सजा के तौर पर सामुदायिक सेवा की शुरुआत की गई थी.
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