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Ram Mandir judgements / ayodhya verdicts
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Ram Mandir judgement . Click the link down
सिविल अपील एनओएस 10866-10867 2010 के एम सिद्दीक (डी) थ्रस्ट लार्स बनाम। महंत सुरेश दास और ओआरएस। https://www.sci.gov.in
(विशाखा समिति) महिलाओ का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीडन(निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष) अधिनियम 2013 1. जिस महिला के साथ कार्यस्थल पर यौन उत्पीडन हुआ, वह शिकायत कर सकती है जहॉ व्यथित महिला अपनी शारीरिक या मानसिक असमर्थता या मृत्यु के कारण या अन्यथा शिकायत करने में असमर्थ है वहॉ उसका विधिक वारिस या ऐसा अन्य व्यक्ति जो विहित किया जाए इस धारा 9 के अधीन परिवाद करेगा। 2. शिकायत घटना से 3 महीने के अंदर होना चाहिए। 3. शिकायत करने की सीमा तीन महीने तक बढाई जा सकती है। यदि शिकायत समिति को लगता है कि पीडिता शिकायत करने में असमर्थ थी। 4. शिकायत लिखित रूप में की जाना चाहिये। 5. धारा 10 सुलह आंतरिक समिति धारा 11 के अधीन जांच आरंभ करने से पूर्व और व्यथित महिला के अनुरोध पर शिकायत को यदि महिला चाहती है तो समझौते के आधार पर निपटाया जा सकता है। परंतु कोई धन लाभ के आधार पर समझौता नही किया जा सकता। 6 आंतरिक समिति अभिलिखित किए गए समझौते की प्रति...
साइबर सुरक्षा के उपाय 1. पासवर्ड सुरक्षा पासवर्ड बनाने और प्रतिबंधित करने के लिये निम्न सुझाव पर विचार किया जाना चाहिय। आप अपने प्रत्येक खाते के लिये अलग-अलग पासवर्ड का उपयोग करें। व्यापक सुरक्षा साॅफ्टवेयर का उपयोग करे और इसे की स्ट्रोक लाॅगर और अन्य मैलवेयर से बचने के लिए सदैव अपडेटेड रखे। उन कम्पयूटरो पर पासवर्ड दर्ज करने से बचे, जिन्हे आप नियंत्रित नही करते है। इन कम्पयूटरो मे मैलवेयर हो सकता है जो आपका पासवर्ड चुरा सकता है। असुरिक्षत वाई-फाई कनेक्शन सार्वजनिक स्थल पर या काॅफी शाॅप पर उपयोग करते समय पासवर्ड दर्ज करने से बचे हैकर्स इस असुरक्षित कनेक्शन पर आपके पासवर्ड और डेटा को चुरा सकते है। अपने ...
भारतीय न्याय संहिता की धारा 125 मे सजा और जमानत किसी व्यक्ति के जीवन को खतरे में लाने वाले आपराधिक कार्यों के लिए पहले भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 336 व 338 के तहत सजा की कार्यवाही की जाती थी। जिसे BNS के लागू किए जाने के बाद से भारतीय न्याय संहिता की धारा 125 से बदल दिया गया है। इसलिए कानूनी छात्रों, पुलिस अधिकारी व देश के सभी नागरिकों के लिए इस कानून के बारे में जानना बहुत ही जरुरी है। बीएनएस की धारा 125 क्या है भारतीय न्याय संहिता की धारा 125 में किसी व्यक्ति की जान या व्यक्तिगत सुरक्षा को जानबूझकर खतरे में डालने वाले कार्यों को अपराध माना जाता है। यह धारा उन सभी मामलों को कवर करती है, जहां किसी व्यक्ति के द्वारा किए गए कार्यों द्वारा किसी अन्य व्यक्ति को शारीरिक या मानसिक रूप से नुकसान पहुंचने का खतरा होता है। इसका मतलब है कि यदि कोई व्यक्ति ऐसा कोई भी कार्य करता है जिससे किसी अन्य व्यक्ति की जान को या किसी भी अन्य तरीके से शारीरिक या मानसिक नुकसान होता है। तो ऐसे व्यक्ति पर BNS Section 125 के तहत मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही की जा सकती है। भारतीय न्याय संहिता की धारा 12...
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