65B(4) के तहत प्रमाणपत्र पेश करने की जरूरत नहीं है।

   सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि कोई पक्षकार जिसके पास इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य है पर अगर वह उस यंत्र का मालिक नहीं है जिससे यह साक्ष्य/प्रमाणपत्र निकला है तो उसे साक्ष्य अधिनियम की धारा 65B(4) के तहत प्रमाणपत्र पेश करने की जरूरत नहीं है।
न्यायमूर्ति एके गोएल और न्यायमूर्ति यूयू ललित की पीठ ने ने इस कानूनी स्थिति को स्पष्ट किया। इस बारे में एक विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने यह व्यवस्था दी। पीठ ने कहा कि याचिका में प्रश्न यह उठाया गया था कि किसी अपराध स्थल पर अपराध के दृश्य या जांच के दौरान हुई बरामदगी का वीडियो साक्ष्य संग्रहण को प्रोत्साहित करेगा या नहीं।
सुनवाई के दौरान इस बारे में आशंका व्यक्त की गई कि साक्ष्य अधिनियम की धारा 65B(4) के तहत अगर साक्ष्य के रूप में कोई बयान दिया गया है तो उक्त प्रावधानों के तहत उस व्यवस्था या उस मशीन को चलाने वाले उच्च पद पर बैठे किसी व्यक्ति से प्रमाणपत्र चाहिए या नहीं।
इस संदर्भ में पीठ ने कई मुकदमों का जिक्र करते हुए कहा कि साक्ष्य अधिनियम की धारा 65B(4) के तहत प्रमाणपत्र पेश करने की प्रक्रियात्मक जरूरतों को लागू करने की आवश्यकता तभी हो जब इस तरह का इलेक्ट्रोनिक प्रमाणपत्र कोई ऐसा व्यक्ति दे जो इस व्यवस्था को चलाने वाला प्रमुख व्यक्ति हो।
पीठ ने कहा, “एक ऐसे मामले में जिसमें कोई ऐसा पक्षकार एक इलेक्ट्रोनिक साक्ष्य पेश करता है और इस साक्ष्य को प्रिंट करने वाला यंत्र उसका नहीं है तो यह नहीं कहा जा सकता कि साक्ष्य अधिनियम की धारा 65B(4) यहाँ लागू नहीं होता। उस स्थिति में, उक्त धारा के तहत प्रक्रिया की मदद निश्चित रूप से ली जा सकती है। अगर इसकी अनुमति नहीं दी गई तो यह उस व्यक्ति को न्याय से वंचित करना होगा जिसके पास प्रामाणिक साक्ष्य/गवाही है लेकिन इसको साबित करने के तरीके के कारण इन दस्तावेजों को कोर्ट द्वारा इस पर विचार से दूर रखा जा रहा है क्योंकि साक्ष्य अधिनियम की धारा 65B(4) के तहत वह प्रमाणपत्र नहीं प्राप्त कर सकता। इस तरह, साक्ष्य अधिनियम की धारा 65B(4) के तहत प्रमाणपत्र हमेशा जरूरी नहीं है।”

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