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धाराः-5  भारतीय दंड संहिता का प्रभाव भारत सरकार की सेवा के आफीसरो, सैनिको, नौसैनिको, या वायू सैनिको द्वारा विदोरह या अभित्यजन के दंडित करने वाले किसी अधिनियम के उपबंधो या किसी विशेष या स्थानीय विधि के उपबंधो पर नही होगा।

धाराः-19 - न्यायाधीश -’

          न्यायाधीश शब्द न केवल हर ऐसे व्यक्ति का घोतक हेाता है, जो पद रूप से न्यायाधीश अभिहित हो, किन्तु उस हर व्यक्ति का घोतक है,
    जो किसी विधि कार्यवाही मे, चाहे वह सिविल हो या दंडिक, अंतिम निर्णय या ऐसा निर्णय, जो उसके विरूद्ध अपील न होने पर अंतिम हो जाए, या ऐसा निर्णय जो किसी अन्य प्राधिकारी द्वारा पुष्ट किए जाने पर अंतिम हो जाए, देने के लिये विधि द्वारा सशक्त किया गया हो अथवा जो उस व्यक्ति -निकाय मे से एक हो, जो  व्यक्ति -निकाय ऐसा निर्णय देने के लिये विधि  द्वारा सशक्त किया गया हो।
    1.    किसी वाद मे अधिकारिता का प्रयोग करने वाला कलेक्टर न्यायाधीश है।
    2.    किसी आरोप के संबंध मे, जिसके लिये जुर्माना या कारावास का दंड देने की शक्ति प्राप्त है वह न्यायाधीश है।
    3.    पंचायत का सदस्य न्यायाधीश है।
    4.    किसी प्रकरण को अन्य न्यायालय को सुपुर्द करने वाला न्यायधीश नही है।

धारा-20-  न्यायालयः-   

        न्यायालय शब्द उस न्यायाधीश का जिसे अकेले ही न्यायिकतः कार्य करने के लिऐ विधि द्वारा सशक्त किया गया हो , या उस न्यायाधीश निकाय का जिसे एक निकाय के रूप मे न्यायिकतः कार्य करने के लिऐ विधि द्वारा सशक्त किया गया हो, जबकि ऐसा न्यायाधीश या न्यायाधीश निकाय न्यायिकतः कार्य कर रहा हो।
    उदाहरणः-  मद्रास संहिता के सन् 1816 के विनियम 7 के अधीन कार्य करने वाली पंचायत जिसे वादो का विचारण करने और अवधारण करने की शक्ति प्राप्त है, न्यायालय है।

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