juvinil justice 2015

किशोर न्याय अधिनियम 2015
1.    किशोर न्याय अधिनियम 15 जनवरी 2016 से लागू।
2.    इस अधिनियम मे अध्याय-10 व धारा-112 है।
3    अध्याय निम्नानुसार-
        1.    प्रारंभिक-
        2.    बालको की देखरेख और संरक्षा सिद्धांत
        3    किशोर न्यायिक बोर्ड
        4    विधि का उल्लंघन करने वाले बालको के सम्बंध मे प्रक्रिया
        5.    बाल कल्याण समिति
        6    देखरेख और सरंक्षण के लिये जरूरतमंद बालकोें के सम्बंध मे प्रक्रिया
        7    पुनर्वास और समाज मे पुनः मिलाना
        8    दत्तक ग्रहण
        9    बालको के विरूद्ध अन्य अपराध।
        10    प्रकीर्ण

4    किशोर न्याय अधिनियम का 2016 का अधिनियम क्रमांक-2 है।
5    इस अधिनियम को 31 दिसम्बर 2015 को अधिनियमित किया गया।

                      अध्याय-1                            प्रारंभिक
1.    संक्षिप्त नाम- किशोर न्याय(बालको की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम 2015
    विस्तार-     जम्मू-कश्मीर राज्य के सिवाय संपूर्ण भारत ।
    लागू-         15 जनवरी 2016
    इस अधिनियम के उपबंध, देखरेख और संरक्षण के जरूरतमंद बालको तथा विधि का उल्लंघन करने वाले     बालको पर लागू होगे।

2    महत्वपूर्ण परिभाषाएं-

    1.    परित्यक्त बालक-जिसे समिति द्वारा परित्यक्त घोषित किया जाये।
    2.    दत्तकग्रहण-दत्तक बालक को उसके जैविक माता-पिता से स्थायी रूप से अलग कर दत्तक    माता पिता को सभी अधिकारी दिये जाते हे, तो वह बालक दत्तक माता का जैविक बालक बन    जाता है।
    3    दत्तकग्रहण विनियम-केन्द्रीय सरकार द्वारा दत्तक ग्रहण के सम्बंध मे अधिसूचित विनिमय है।
    4    प्रशासक- उप सचिव से निम्न अनिम्न पंक्ति का पदाधिकारी, जिसे मजिस्ट्रेट की शक्तियॉ  प्रदान की गई।
    6    प्राधिकृत विदेशी दत्तकग्रहण अभिकरण-विदेशी माता -पिता द्वारा भारत के किसी बालक  को दत्तकग्रहण की कार्यवाही करना
    7    प्राधिकरण-केंद्रीय दत्तकग्रहण स्त्रोत प्राधिकरण
    10    बोर्ड- किशोर न्याय बोर्ड
    12    बालक- 18 वर्ष से कम आयु
    13    विधि का उल्लंघन करने वाला बालक-अपराध की तारीख को 18 वर्ष की आयु पूरी नही की।
    14    देखरेख और संरक्षण का जरूरतमंद बालक-जिसके पास घर या निवास या जीवन निर्वाह के साधन नही है, भीख मॉगता बालक, शोषण या दुर्व्यहार किया गया बालक, घातक एवं असाध्य रोगो से पीडित बालक जिनकी देख रेख करने वाला कोई नही है, या उसके माता-पिता सरंक्षक देखरेख करने मे असमर्थ है। सशस्त्र संघर्ष सिविल उपद्रव या प्राकृतिक आपदा से पीडित या प्रभावित।
    17    बालक कल्याण अधिकारी-  बालगृह से जुडा कोई अधिकारी
    18    बाल कल्याण पुलिस अधिकारी- पुलिस स्टेशन मे सहायक उपनिरीक्षक स्तर का अधिकारी
    19    बाल गृह-राज्य सरकार द्वारा बालको के लिये रजिस्ट्रीकृत बाल गृह ।
    20    बालक न्यायालय-बालक अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम 2005 या लैंगिक अपराधो से             बालको     का सरंक्षण अधिनियम के अधीन स्थापित कोई विशेष न्यायालय,जो सेशन न्यायालय की             अधिकारिता रखेगा।
    21    बालक देखरेख संस्था- बालगृह खुला आश्रय, संप्रेक्षण गृह, विशेष गृह, सुरक्षा स्थान, विशेषज्ञ         दत्तकग्रहण अभिकरण, या कोई मान्यता प्राप्त संस्था अभिप्रेत है।
    22    समिति- बाल कल्याण समिति
    23    न्यायालय- सिविल न्यायालय , जिला न्यायालय, कुटंुब न्यायालय, नगर सिविल न्यायालय
    25    बालबद्ध सेवाओ- बालको के लिये 24 घण्टे आपातकालीन सेवा।
    26    जिला बालक संरक्षक एकक-राज्य सरकार द्वारा स्थापित बालक सरंक्षण एकक अभिप्रेत है।
    30    पालक कुटंुब-जिला बालक संरक्षण एकक द्वारा पोषण देखरेख के लिये बालको को रखने हेतु।
    31    संरक्षक-नैसर्गिक संरक्षक या समिति या बोर्ड द्वारा कार्यवाहियो के दौरान संरक्षक के रूप मे             मान्यता दी गई।
    33    जघन्य अपराध-भारतीय दण्ड संहिता या किसी अन्य विधि मे 7 वर्ष या उससे अधिक के             कारावास
    34    अंतर-देशीय दत्तक ग्रहण- अनिवासी भारतीय या विदेशी द्वारा बालक का दत्तकग्रहण अभिप्रेत है।
    35    किशोर-18 वर्ष से कम आयु का बालक
    38    अनिवासी भारतीय- भारतीय पासपोर्ट है और एक से अधिक वर्ष से विदेश मे रह रहा है।
    40    संप्रेक्षण ग्रह -  राज्य सरकार द्वारा स्थापित
    41    खुला आश्रय -राज्य सरकार द्वारा या स्वैच्छिक या गैर सरकारी संगठन द्वारा स्थापित                 रजिस्ट्रीकृत  सुविधा तंत्र अभिप्रेत है।
    42    अनाथ - जिसके जैविक या दत्तक माता-पिता या विधिक संरक्षक नही है।
    45    छोटे अपराध- भारतीय दंण्ड संहिता या अन्य किसी विधि मे 3 वर्ष तक का कारावास
    46    सुरक्षित स्थान-पुलिस हवालता या जेल नही है।
    48    परिवीक्षा अधिकारी -राज्य सरकार द्वारा जिला बालक सरंक्षण एकक के अधीन नियुक्त विधि             सह परिवीक्षा अधिकारी।
    52    नातेदार-बालक के चाचा, चाची, मामा, मामी, पितामह-पितामही, मातामह-मातामही
    54    घोर अपराध- 3 वर्ष से 7 वर्ष तक के बीच के कारावास के अपराध
    55    विशेष किशोर पुलिस एकक -
    56    विशेष गृह-    विधि का उल्लंघन करने वाले बालको के लिये रजिस्ट्रीकृत संस्था अभिप्रेत।
    60    अभ्यर्पित बालक- ऐसा बालक जिसे माता-पिता , सरंक्षक द्वारा शारीरिक, भावनात्मक और             सामाजिक कारको के कारण समिति को त्यजन कर दिया है।


                           अध्याय-2

               बालको की देखरेख और संरक्षा के साधारण सिद्धांत

                        अध्याय-3

                    किशोर न्यायिक बोर्ड

4.  किशोर न्यायिक बोर्ड- 1.राज्य सरकार प्रत्येक जिले मे एक या अधिक किशोर न्याय बोर्डो को विधि का उल्लंघन करने वाले बालको के सम्बंध मे शक्तियो का प्रयोग करने के लिये स्थापित करेगी।
    2.    बोर्ड मे एक महानगर मजिस्ट्रेट या प्रथम वर्ग के न्यायिक मजिस्ट्रेट जिसे 3 वर्ष का अनुभव हो, ओर दो सामाजिक कार्यकर्त्ताओ से मिलकर बनेगा , सामाजिक कार्यकर्ताओ मे एक महिला होगी ।
    3.    जिनमे सामाजिक कार्यकर्ताओ को 7 वर्ष का स्वास्थय, शिक्षा और कल्याण ,बालक मनोविज्ञान, मनोरोग विज्ञान, सामाजिक विज्ञान या विधि मे डिग्री सहित व्यवसायरत हो। ।
    5     प्रत्येक सदस्य को नियुक्ति तारीख से 60 दिन के अंदर प्रशिक्षण दिया जावेगा।
    7    यदि कोई सदस्य
        1.    अधिनियम की शक्तियो का दुरूपयोग करेगा।
        2.    बोर्ड की कार्यवाहियो मे बिना किसी कारण के तीन मास तक उपस्थित नही होगा
        3    किसी वर्ष मे तीन-चौथाई से कम बैठको मे भाग लेने मे असफल रहता है।

5.    उस व्यक्ति का स्थानन, जो जॉच प्रक्रिया के दौरान बालक नही रह जाता है-जो बालक जॉच प्रक्रिया के दौरान बालक नही रह जाता हे उसके विरूद्ध आदेश उसी रूप मे पारित किया जायेगा मानो वह व्यक्ति अभी बालक है।
6.    उस व्यक्ति का स्थानन, जिसने अपराध तब किया था जब वह व्यक्ति अठारह वर्ष से कम आयु का थाः- उस बालक को जॉच प्रक्रिया के दौरान बालक माना जावेगा, और यदि जमानत पर रिहा नही किया जाता तो उसे सुरक्षित स्थान पर रखा जावेगा। 
7    बोर्ड के सम्बंध मे प्रक्रियाः- 1.बोर्ड की सभी प्रक्रिया बाल हितैषी हो एवं उस स्थान पर बैठक    करेगा जो बालक को अभित्रास करने  वाला या नियमित न्यायालय के समान न हो।
    2.    जब बोर्ड की बैठक न हो तब विधि का उल्लंघन करने वाले बालक को बोर्ड के किसी वरिष्ठ  सदस्य के समक्ष पेश किया जा सकेगा।
    3    बोर्ड किसी सदस्य की अनुपस्थिति मे भी कार्य कर सकेगा और बोर्ड की कार्यवाही सदस्य की             अनुपस्थिति के कारण अविधिमान्य नही होगी। लेकिन अंतिम निपटारे के समय या धारा 18 की  उपधारा 3 के अधीन आदेश करने मे कम से कम दो सदस्य होगे, जिसके अंतर्गत प्रधान मजिस्ट्रेट   भी है।
    4    सदस्यो के मध्य अंतरिम या अंतिम निपटारे मे मतभेद होने की दशा मे प्रधान मजिस्ट्रेट की राय             मान्य होगी।   

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