indian penal code

  

                          भारतीय दंड संहिता 1860

                                                1860 का अधिनियम सं-45

                           
धारा-1 -  संहिता का नाम और उसके प्रवर्तन का विस्तार-        इस अधिनियम का नाम   भारतीय दंड संहिता होगा और इसका विस्तार जम्मू कश्मीर राज्य को छोडकर सम्पूर्ण  भारत पर होगा।

धारा-2-     भारत के भीतर किए गए अपराधो का दंडः-   हर व्यक्ति जो इस संहिता के उपबंधो के विपरीत कार्य या लोप करेगा वह भारत के भीतर दोषी होकर इसी संहिता के अधीन दंडनीय होगा।

धाराः-3    भारत से परे किए गए किन्तु उसके भीतर विधि के अनुसार विचारणीय अपराधो का दंड- भारत से परे किए गए अपराध के लिऐ जो कोई व्यक्ति किसी भारतीय विधि के अनुसार विचारण का पात्र हो , भारत से बाहर किये गये किसी कार्य के लिये उससे ऐसा व्यवहार किया जाएगा कि मानो उसने वह कार्य भारत के भीतर किया थां।

धारा-4- राज्यक्षेत्रातीन अपराधो पर संहिता का विस्तार-  इस संहिता के उपबंध भारत के बाहर और परे किसी स्थान मे भारत के किसी नागरिक द्वारा या भारत में रजिस्ट्रीकृत किसी पोत या विमान पर चाहे वह कही भी हो किसी व्यक्ति द्वारा किए गए किसी अपराध को भी लागू है।
    भारत मे स्थित किसी कंम्यूटर साधन को लक्ष्य बनाकर भारत के बाहर और परे किसी स्थान मे किसी व्यक्ति द्वारा कोई अपराध कारित करना।
  
     अपराध को भारतीय दंड संहिता के अनुसार बताया गया है कि प्रत्येक वो कार्य जो भारत मे दंडनीय है तो वह भारत के बाहर भी इस संहिता मे दंडनीय होगा।
    कम्प्यूटर साधन का वही अर्थ है जो सूचना प्रौधोगिकी अधिनियम 2000 की धारा 2 की उपधारा 1 के खंड-ट मे है।                      

          उदाहरणः-  एक व्यक्ति जो भारत का नागरिक है, अमेरिका मे किसी दूसरे व्यक्ति की हत्या करता है वह भारत के किसी स्थान मे जहाॅ वह पाया जाए हत्या के लिए विचारित और दोषसिद्ध किया जा सकता है।

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