धारा 99 -- वे कार्य जिनके विरूद्ध प्राइवेट प्रतिरक्षा का कोई अधिकार नही है---ःःः जिस कार्य से मृत्यु या घोर उपहति युक्तियुक्त रूप से कारित नही होती और वह कार्य लोकसेवक द्वारा किया जाता है या करने का प्रयत्न किया जाता है तो उस कार्य के विरूद्ध प्राइवेट किसी व्यक्ति को प्राइवेट प्रतिरक्षा का कोई अधिकार नही है।
लोकसेवक के निर्देश मे कोई कार्य किया जा रहा है और उस कार्य से मृत्यु या घोर उपहति कारित होने की संभावना नही है तो उस कार्य के विरूद्ध प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार प्राप्त नही है।
यदि व्यक्ति के पास लोक प्राधिकारियो से सहायता प्राप्त करने के लिये समय है तो उस व्यक्ति के पास प्राइवेट प्रतिरक्षा का कोई अधिकार नही है।
धारा 100-- शरीर की प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार का विस्तार मृत्युकारित करने पर कब हेाता है -- शरीर की प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार मृत्यु कारित करने तक होता जब ऐसा हमला किया जाये जिससे यह प्रतीत होता है कि हमले का परिणाम मृत्यु होगा, बलात्संग करने के आशय से किया गया हमला, प्रकृति विरूद्ध काम-तृष्णा की तृप्ति के आशय से किया गया हमला, व्यपहरण या अपहरण करने के आशय से या सदोष परिरोध करने के आशय से हमला किया गया हो।