शासकीय कर्मचारी के लिए आसान हुआ पासपोर्ट बनवाना

पासपोर्ट बनवाने की प्रक्रिया

भारत सरकार ने पासपोर्ट लिए सरकारी कर्मचारियों के लिए भी अलग नियम बनाया गया है, ताकि पासपोर्ट जारी करने में किसी तरह की दिक्कत का सामना न करना पड़े। सरकारी कर्मचारी रुटीन पासपोर्ट की तरह ही आवेदन कर सकते हैं, लेकिन उन्हें सरकार के उस नियम का पालन करना है, जो अभी हाल ही में लागू किया गया है।
नए नियम के तहत सरकारी कर्मचारियों को पासपोर्ट बनवाने के लिए उच्च अधिकारियों की ओर से जारी लेटर पासपोर्ट सेवा केंद्र भेजना होगा। साथ में एक एनओसी यानी नो ऑबजेक्शन सर्टिफिकेट भी होगा। हम आपको बता रहे हैं कि सरकारी कर्मचारियों को पासपोर्ट के लिए आवेदन करते वक्त किन-किन बातों को ध्यान रखना जरूरी है।

आवेदन के लिए क्या करें |

  • सरकारी कर्मचारियों को सबसे पहले संबंधित विभाग की ओर से जारी लेटर को फार्म के साथ अटैच करना होगा
  • अगर आला अफसरों या अथारिटी को इसमें कोई आपत्ति है तो उन्हें सीधे पीआरओ से मुलाकात करना होगा
  • इसके बाद पासपोर्ट के लिए रुटीन सिस्टम पर अमल करते हुए फार्म भरना होगा
  • पारिवारिक सदस्य भी रुटीन सिस्टम को फॉलो करते हुए पासपोर्ट के लिए आवेदन कर सकते हैं
  • आवेदकों को इसके बाद पासपोर्ट सेवा केंद्र की वेबसाइट पर विजिट करना होगा
  • यहां वे फार्म को भरेंगे और इसके बाद सब्मिट कर देंगे
  • फार्म को एक बार सब्मिट कर दिया तो फिर फीस जमा करने की प्रक्रिया को पूरा करना होगा
  • एक बार फीस की प्रक्रिया को पूरा कर दिया तो फिर पासपोर्ट सेवा केंद्र से साक्षात्कार के लिए अप्वाइंटमेंट लेना होगा
  • आवेदकों को पासपोर्ट सेवा केंद्र में अपनी मौजूदगी दर्ज करानी होगी। उन्हें जो टाइम शेड्यूल मिला है, उसी हिसाब से आफिस पहुंचना होगा
  • कर्मचारियों को यहां एक टोकन नंबर दिया जाएगा। साथ ही वे अपने साथ जो जरूरी दस्तावेज लाएं हैं, उन्हें सब्मिट करना होगा
  • यहां दस्तावेजों की जांच की जाएगी और फिर इसके बाद एक रसीद दी जाएगी
  • इसके बाद पासपोर्ट आपके पते पर पहुंच जाए.                    

    इंटीमेशन लेटर फॉर पासपोर्ट 

    प्रायर इंटीमेशन लेटर उसे कहते हैं, जो संबंधित विभाग के आला अफसरों की ओर से जारी किया जाता है। यह लेटर उस वक्त जारी किया जाता है, जब कर्मचारी पासपोर्ट के लिए आवेदन करते हैं। उन्हें अपने अधिकारियों को बताना होता है कि वे पासपोर्ट के लिए आवेदन करने जा रहे हैं। यही नहीं, उन्हें अपने अधिकारियों को इसकी जानकारी भी देनी होती है कि वे क्यों पासपोर्ट बनवाना चाहते हैं। पासपोर्ट बनने के बाद वे कहां जाएंगे और इसका मकसद क्या है। उच्च अधिकारी इसकी जानकारी संबंधित विभाग हेड को भेजते हैं, ताकि उनकी जानकारी में भी यह रहे। अगर विभाग के उच्चाधिकारियों को इसमें कोई आपत्ति है तो कर्मचारी सीधे पासपोर्ट सेवा केंद्र के स्थानीय कार्यालय पहुंच सकते हैं। पासपोर्ट सेवा केंद्र के पीआरओ से मुलाकात कर वे अपना पक्ष रख सकते हैं। पीएसके की ओर से एक लेटर संबंधित विभाग के आला अधिकारियों को भेजा जाएगा। उनसे पूछा जाएगा कि आखिर लेटर और एनओसी न जारी करने के पीछे क्या वजह है। अगर अधिकारियों की ओर से कोई वैलिड रीजन बताया गया तो इस मामले की जांच भी कराई जा सकती है।

    नो ऑबजेक्शन सर्टिफिकेट 

    इसी तरह अगर सरकारी कर्मचारी किसी विभाग में काम कर रहे हैं तो उन्हें अपने आला अफसरों से एनओसी लेना जरूरी है। एनओसी का मकसद यह है कि पासपोर्ट सेवा केंद्र को इसकी जानकारी होनी चाहिए कि वे जिन्हें पासपोर्ट जारी करने जा रहे हैं, उसमें कोई दिक्कत नहीं है। एनओसी मिलने के बाद सरकारी कर्मचारी इसकी कॉपी फार्म के साथ अटैच करते हैं। फार्म के साथ अगर एनओसी सर्टिफिकेट अटैच हो गया तो पुलिस को इसमें आसानी हो जाती है। पासपोर्ट के लिए उन्हें फिर पुलिस वेरिफिकेशन की जरूरत नहीं पड़ती है। जब विभाग को ही इसमें कोई दिक्कत नहीं है तो फिर पुलिस वेरिफिकेशन की क्या जरूरत है। हां अलबत्ता एक बार पुलिस रिकार्ड जरूर चेक किया जाता है। कई बार ऐसा होता है कि स्थानीय थाने में कोई मुकदमा दर्ज हो गया हो और इसकी जानकारी संबंधित विभाग को न लग पाई हो। इसलिए पुलिस इस जानकारी को संबंधित विभाग के अधिकारियों से साक्षा करती है।

    पहचान प्रमाणपत्र 

    सभी सरकारी कर्मचारियों को सरकार की तरफ से एक कार्ड दिया जाता है। उसे सर्विस कार्ड भी कहा जाता है। वही उनके लिए पहचान प्रमाणपत्र का भी काम करता है। पासपोर्ट के लिए आवेदन करते समय फार्म के साथ पहचान प्रमाणपत्र की कॉपी भी लगानी होती है। संबंधित विभाग की ओर से जारी लेटर, एनओसी और सर्विस कार्ड की कॉपी लगने के बाद किसी भी तरह की पुलिस वेरिफिकेशन की जरूरत नहीं पड़ती है।

    विदेशी दौरा 

    किसी भी सरकारी कर्मचारी को अगर विदेश का दौरा करना है तो उन्हें इसकी जानकारी संबंधित विभाग के आला अफसरों को देना होगा। उन्हें यह भी बताना होगा कि वह आखिर क्यों विदेश का दौरा करना चाहते हैं। सरकारी कर्मचारियों को इसके लिए छुट्टी तो ग्रांट करानी पड़ेगी ही, वैलिड रीजन भी बताना होगा। सरकारी कर्मचारियों को विदेशी दौरा करने के लिए सरकारी के सभी कायदे और नियम पर अमल करना होगा।

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